दिल्ली NCR

हिंदुस्तानी मुसलमान जुमा भी पड़ेगा, और होली भी मनायेगा सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड

कट्टरपंथ से नहीं मोहब्बत से बनेगा नया हिंदुस्तान

 सीलमपुर दिल्ली – 10.03.2025

दिल्ली के सीलमपुर में सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड की एक अहम बैठक जनाव फैज आलम अंसारी जी के घर पर मुनआकिद हुई जिसमें मुल्क की गंगा जमुनी तहजीब भाईचारे और आपसी इक्तेहाद को बरकरार रखने के लिए एक तारीखीं कारारदादा पास की गई।

सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड का वाजेह मोकिफ़ है कि हिंदुस्तान के मुसलमान को नफरत की सियासत से ऊपर उठकर इस मुल्क की सका़फ़ती विरासत को अपनाना होगा। हिंदुस्तान हमारा वतन है और इसकी रस्म ओ रिवाज हमारी अपनी है। इसलिए हिंदुस्तानी मुसलमान जुमा की नमाज भी अदा करेगा और होली भी मनाएगा।

मजहब इंसानियत से बड़ा नहीं, और इंसानियत मोहब्बत से ऊपर नहीं।

हिंदुस्तान की सरज़मीन मे मोहब्बत भाईचारे और इत्तेहाद की खुशबू बसी हुई है सुन्नी मुसलमान मानता है कि कोई भी ऐसा अमल जो दिलों को जोडाता हो जो समाज में प्यार और भाईचारा बढ़ाता हो वह गलत नहीं हो सकता।

होली सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि प्यार बराबरी और सामाजि एवं यकजहती का भी पैगाम देता है। यह त्यौहार रंगों से ज्यादा दिलों को जोड़ने का एक मौका देता है। जब रंग गुलाल उड़ता है तो अमीरी गरीबी, जात-पात, ऊँच- नीच, का भेद मिट जाता है और सिर्फ इंसानियत का रंग बाकी रह जाता है। यही इस त्यौहार की हाकीकि़ खूबसूरती है।

हमने इबादत का तरीका बदला है, मगर अपनी तहजीब और वतन परस्ती नहीं।

सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड ने वाजेह किया है। कि यह मुल्क सिर्फ हमारा वतन नहीं बल्कि हमारी पहचान भी है। हमारे बुजुर्ग यही पैदा हुए, यही जिए, और यही सुपुर्द-ए खाक भी हुए।

कौमी त्योहारों और सक़फ़ती तक़ारीब को अपनाने से हमारा मज़हब कमजोर नहीं होता, बल्कि और मजबूत होता है। यह बात तारीख भी कहती है। हिंदुस्तान के सूफी बुजुर्गों और मुस्लिम सुल्तानों ने हमेशा इस तहजीब को कायम रखा।

दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन औलिया, बाराबंकी के देवा शरीफ, अजमेर शरीफ जैसी दरगाहों में होली का त्योहार सदियों से मनाया जाता रहा है।

“कट्टरपंथ से नहीं, मोहब्बत से बनेगा नया हिंदुस्तान”

आज मुल्क में कुछ अनासिर नफरत का जहर घोलकर समाज को तक्सीम करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड ऐसे इन्तिहापसंद ख़यालात को पूरी तरह मुस्तरद करता है। हम ऐसे हिंदुस्तान की तामीर चाहते हैं जहां हर मज़हब, हर जा़त, हर जाबान, और हर कौम के लोग एक दूसरे की खुशियों में शरीक हो सकें।

मजहब किसी से अदावत नहीं सीखाता, और हिंदुस्तानी मुसलमान नफरत के रास्ते पर चलने वाला नहीं है। इस्लाम मोहब्बत और अमन का पैगाम देता है। और उसी पैगाम पर चलते हुए सुन्नी मुसलमान इस मुल्क को दंगा- फसाद से दूर रखेगा। और आपसी भाईचारे को मजबूत करेगा।

हम हिंदुस्तानी मुसलमान जुमा की नमाज भी पड़ेंगे, और होली भी मनाएंगे।

इस अहम् मीटिंग में फैज आलम अंसारी, जीनत, डॉक्टर हामिद, एडवोकेट लुकमान, लताफत त्यागी, मिर्जा नदीम बेग, रईस अंसारी, सैयद डॉक्टर आफताब हाशमी समेत कई बुद्धिजीवियों और सामाजि कारकुनों ने शिरकत की और इस करारदाद को सर्वसम्मति से मंजूर किया।

नजीर बनारसी कहते हैं –

कहीं पड़े ना मोहब्बत की मार होली में.

अदा से प्रेम करो दिल से प्यार करो होली में।

गले में डाल दो बाहों का हर होली में.

उतारो एक बरस का गुबार होली में।

इस बार रंग नफरत का नहीं मोहब्बत का उड़ेगा

हिंदुस्तानी मुसलमान जुमा की नमाज भी पड़ेगा, और होली भी मनाएगा।

सैयद डॉक्टर- आफताब आलम हाशमी

अध्यक्ष- सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!